बुधवार, 25 सितंबर 2013

जाएं कहां ... पूछें किस से ...

पूछो तो ज़रा ...
पूछो तो ज़रा ...
उन गलियों से चौबारों से ...
सुनसान रही उन सड़कों से ...
तंग हुए दिलों ...  गलियारों से ...
हर राह वहीं जाती क्यों है
पूछो...
सड़कों से ... बाज़ारों से
क्यों शहर निगल गया लोगों को ....
ये कस्बा क्यों वीरान हुआ
पूछो तो ज़रा तुम मुर्दों से ...
तुम पूछ रहे हथियारों से ...
खून के छींटे सूख चुके हैं ...
मत पूछो ...
पत्थरों से... दीवारों से  ....
ना साथ के मेरे यारों से ...
क्यों उम्र भूल गई गुज़रा वक्त
क्या पूछें ... रक्त सनी तलवारों से ...
अब जाएं कहां ... पूछें किस से ...
चलो पूछें पहरेदारों से ...

1 टिप्पणी:

  1. अजीब चीज़ है ये वक़्त जिसको कहते हैं,
    कि आने पाता नहीं और बीत जाता है..

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