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इन आंसुओं को
इन जवानों को
इन सवालों को
इन नामों को
इन तस्वीरों को
. . .
इन मातमों को
हम भूल जाएंगे ?
हमें !!!
राजनीति करनी है
शहादत पर
लाशों पर
जातियों पर
अगड़ों पर
पिछड़ों पर
बीफ और बिरयानी पर
अभी सियासत पकनी है
सुलगनी है
वोटों की हांडी
इंसानों की हड्डियों
की आंच मांगती है
इन आंसुओं से
वो हड्डियां पिघल सकती हैं
वो हड्डियां पिघल सकती हैं
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Nicely penned.... :-)
जवाब देंहटाएंShukriya Maniparna :)
हटाएंvery nicely written.
जवाब देंहटाएंdhanyawaad Jyotimoy
हटाएंवर्तमान हालातों पर एक सटीक बैठती पंक्तियाँ बहुत गजब के भाव ..अनुसरक बन कर जा रहा हूँ अब तो आता ही रहूँगा | बहुत बहुत शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंपढ़ने, समझने और सराहने के लिए शुक्रिया अजय जी ...
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