मंगलवार, 29 मई 2018

मूर्खता सूचकांक और हम


मूर्खता एक आवरण है या आचरणयह अनंत काल से शोध और समाज दोनों का हिस्सा रहा है। वहीं
मूर्खता सूचकांक एक ऐसी परिकल्पित पद्यति है जिसके अस्तित्व और प्रमाणिकता पर संदेह करना किसी वज्र मूर्ख को आईना दिखाने की ही तरह घातक हो सकता है, इसलिए भूल कर भी ऐसा कतई न करें।
मूर्ख होना कोई अपराध नहीं है, मूर्खतापूर्ण आचरण भी किसी अपराध के दायरे में नहीं आतालेकिन मूर्खों को संरक्षण देना, उनको प्रश्रय देना यकीनन समाज के प्रति एक बहुत बड़ा अपराध है।
सोच समझकर की जाने वाली मूर्खता वास्तव में एक सोची समझी साज़िश की ही तरह होती है। वहीं नैचुरल मूर्खता तो नैसर्गिक सौंदर्य की तरह होती है, जो अपने आसपास के लोगों को अभिभूत किए रखती है। इसके लिए आपको सावधान इंडिया, सीआईडी या फिर क्राइम पेट्रोल देखने की जरूरत नहीं है।
भाबी जी घर पर हैं... जीजाजी छत पर हैं या फिर जेठालाल के दिमाग का इस्तेमाल करते हुए भी आप यथोचित निष्कर्ष तक पहुंच सकते हैं।
मूर्खता समझदारी के सभी दायरों के परे अपने पंख पसारती है, तर्क-वितर्क की नैतिकता के परे... एक अपना स्वयं का नखलिस्तान, जहां के नियम-कायदे खुद तय कर लिए जाते हैं। जहां दूध, दारू, पेट्रोल-डीज़ल सब तरल पदार्थ होते हैं, लिहाज़ा उनकी आपस में तुलना जायज़ है।
वैसे समाज का संवेदी सूचकांक अगर लगातार गिर रहा है तो मूर्खता सूचकांक लगातार बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी ये कतई चिंता का विषय नहीं है। ऐसा सूचकांक अपने आप में ही एक मूर्खतापूर्ण परिकल्पना है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमें तमाम दायरों से परे ले जाती है। आजकल के यथार्थवादी दौर में हमें बहुतायत में मूर्खों की आवश्यकता है 
जरूरत रियलिस्टिक होने की है, अब जरूरत है तो है और वो भी नाना प्रकार के मूर्खों की बंपर जरूरत... अगर फॉर्म निकलें और वो भी आपकी नज़रों के सामने से निकल आएं तो जरूर भरें, फल की चिंता न करें आप दूसरों के जीवन का हल बनें। ... मूर्ख होना एक कला है, आर्ट है... अगर आप में यह योग्यता प्राकृतिक रूप से नहीं पाई जाती है तो थोड़ी सी मेहनत आपकी ज़िंदगी में आमूल-चूल परिवर्तन ला सकती हैं। रोज़ाना अभ्यास से आप उच्च कोटि के मूर्ख बन सकते हैं। मूर्ख बनने का फायदा तभी है जब आप अच्छे मूर्ख बनें। इसके लिए आपको किसी और से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है, खुद पर भरोसा रखें और आप हर श्रेणी में बिना कोई पेपर लीक कराए टॉप कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए:-
*सुनने वाले मूर्ख,
*बोलने वाले मूर्ख,
*देखने वाले मूर्ख
*सोचने वाले मूर्ख
*ताली बजाने वाले मूर्ख,
*खीसें निपोरने वाले मूर्ख,
*झपटालू मूर्ख
*झगड़ालू मूर्ख
*भाषाई मूर्ख
*सतही मूर्ख
*सामाजिक मूर्ख
*प्रोफेशनल मूर्ख
*ले मूर्खदे मूर्खये मूर्ख... वो मूर्ख
वगैरह-वगैरह।
वस्तुतः मूर्खता किसी धर्म, मज़हब या परिचय की मोहताज नहीं अपितु यह तो वो कस्तूरी है जो आपके जाने बगैर आपके समूचे परिवेश को सुवासित करे रखती है और आप अनजान बने रहते हैं। वर्तमान में तो ये एक जीवन पद्यति हो चली है। असल मूर्ख कभी स्वयं से लज्जित नहीं होते, वो हमेशा खुद के फेवरेट होते हैं, किसी चपल सुंदरी की तरह। मूर्खता को वो आभूषण की तरह धारण करते हैं और अज्ञान को अपना अहंकार बना लेते हैं। उनका आत्मविश्वास उनकी असली ताकत होता है और उनकी आस्था किसी सेल्फ हेल्प बुक की ही तरह एकदम चकाचक।
पहले निपट अज्ञानता के चलते मैं कई मूर्खों का यथोचित सम्मान नहीं कर पाया...
(*आप भी नहीं कर पाए होंगे, अब सुधार लीजिए)
परन्तु अब ऐसा बिल्कुल नहीं है। अब मैं उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता हूं। मेरे परिचय में कई परम मूर्ख हैं जो चरम दर्जे की मूर्खता के परिचायक हैं और अक्सर अपनी धृष्टता को निहायत ही प्रोफेशनल अंदाज में अंजाम देते हैं लेकिन वो निर्दोष हैं, भोले हैं, मासूम हैं, बिल्कुल नेताओं की तरह। किसी पर भी भरोसा कर लेते हैं और आजीवन मूर्खता का निर्वाहन करने की शपथ लेकर अपना सारा जीवन, सारी मूल्यवान ऊर्जा... जनकल्याण के लिए समर्पित कर देते हैं। यहां कन्फ्यूज़न की कोई गुंजाइश नहीं है, नेता कभी मूर्ख नहीं होते हैं और मूर्ख कभी नेता नहीं बन सकते हैं। सिद्धांतत: ऐसा ही होना चाहिए।
आप मूर्खों से बच नहीं सकते, वो टेक्नोलॉजी की तरह आपके जीवन के हर हिस्से में अब मौजूद हैं। ऐसा नहीं है कि वे बुद्धि विहीन हैंबुद्धि होती है लेकिन उस फ्री डेटा की तरह जो आपके अकाउंट में तो होता है लेकिन बिना नेटवर्क आप इस्तेमाल करें भी तो कैसे ।
सोशल मीडिया ने सब कुछ इतना सहज और सरल बना दिया है कि आप तुरंत मूर्खता का सीधा प्रसारण कर सकते हैं, कोई बिचौलिया है ही नहीं, बस आप और आपकी ऑडियंस।
आप समझदार हैं इसलिए अर्थ निकालेंगे मूर्ख होते तो अर्क भी निकाल लेते और तर्क भी।

डिस्क्लेमर:- उपरोक्त पोस्ट में जितनी बार मूर्ख और मूर्खता शब्द या भाव का इस्तेमाल हुआ है वह अलग-अलग संदर्भों में है, कोई एक कृपया स्वयं को धन्य न समझें।