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एक 13 साल का बच्चा
टीवी पर रियलिटी शो में
अपनी किस्मत आजमाता है
उसका कोई हमउम्र
उसी वक्त
घाटी में पत्थर उठाता है
पत्थर फेंकने वालों से मुझे कोई हमदर्दी
नहीं...
लेकिन वो नौजवां भी देश का होता है ...
जिसे गुमराह कर दिया जाता है
मत पूछो उस सिपाही की दास्तां
जिसे रोज़ ज़िंदा रहना होता है...
वो भी इंसां है
जिसे विलेन घोषित कर दिया जाता है...
उन हाथों में कलम
और लैपटॉप की खबर
घाटी पहुंच भी नहीं पाती है...
फिर से भड़की हिंसा
कुछ और जानें लील जाती है...
क्यों फेंके जाते हैं पत्थर...
कितनी घातक है पैलेट गन...
वार्ताओं में...
बैठकों में ...
रोज़ इनके जवाब ढूंढे जाते हैं...
और पर्दे के पीछे चलते दिमाग
एक पूरी पीढ़ी को
आज़ादी के नाम पर...
बरगलाए चले जाते जाते हैं...
कर्फ्यू में क़ैद
जिनके दिन हुए...
वो अपने घरों में क़ैद हैं...
उनके बस्ते ...कापी...कलम किताबें
सब अलमारियों में बंद हैं...
जिनको इनका मतलब तक नहीं पता...
वो मासूम तो बस...
शाम... खेलने को लेकर फिक्रमंद है,
अलगाववादियों की साज़िशें,
खत्म नहीं होती
लेकिन घर का राशन
खत्म होता जाता है
हाथ कांपते तो होंगे
जब एक जवान
बेकाबू भीड़ की तरफ निशाना लगाता है
धर्म नहीं ....मज़हब नहीं...
लेकिन भीड़ का मकसद तय कर दिया जाता है...
जिनको आज़ादी नहीं
ज़िंदगी चाहिए
उनको ज़िंदगी जीने दो ...
जिनके हाथ में...
उनका बचपन...
उनका लड़कपन छीनकर...
कोई अपना मकसद थमा कर चला जाता है
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हेमन्त वशिष्ठ
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Superb.
जवाब देंहटाएंShukriya Jyotirmoy
हटाएंHi Hemant,
जवाब देंहटाएंCongratulations!
You have been featured in Spicy Saturday Picks on September 3, 2016.
http://blog.blogadda.com/2016/09/03/spicy-saturday-picks-top-creative-writing-posts
Keep Blogging!
Team BlogAdda
Thank you so much Team BlogAdda, its really inspiring.
हटाएंआपने हथौड़ा सीधा कील के शीर्ष पर मारा है । बिलकुल ठीक बात कही है आपने ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जितेन्द्र जी...
हटाएंबात यही है
जानते सभी हैं...
समाधान फिर भी
दिखता नहीं है...
Just came across your writings through Blogadda !
जवाब देंहटाएंGreat work !
I really appreciate n i am really thankful.
हटाएंThanks Preeti
धन्यवाद हेमा जी
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