कुछ बात यूं हुई...
हम उलझे रहे शब्दों में...
औऱ ...बात... चली गई ...
तुझे जब-जब पढ़ना चाहा...
कुछ बात यूं हुई...
हम पढ़ ना पाए सीरत...
सूरत बदल गई...
तुझे जब-जब कहना चाहा...
कुछ बात यूं हुई...
तेरी बात कहते-सुनते...
हर राह गुजर गई...
जब-जब तुझे सुनना चाहा
कुछ बात यूं हुई...
मैं सुन ना पाया आहट...
दबे पांव तू चली गई...
तुझे जब-जब मिलना चाहा...
कुछ बात यूं हुई...
हम भूल बैठे तारीख...
औऱ मुलाक़ात हुई नहीं...
बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंachhi kavita...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएं