गुरुवार, 18 सितंबर 2008
ये ब्लॉग मैने क्यों बनाया
ये ब्लॉग मैने क्यों बनाया... इसका कौई सीधा सा जवाब मेरे पास नहीं है, लेकिन पहला पोस्ट करते वक्त मैं ये सवाल अपने आप से पूछ रहा हूं... और इस सवाल की पृष्ठभूमि में एक आदत छिपी है...वो है डायरी लिखने की.... हालांकि ये आदत वक्त-वक्त पर छूटती रही...और फिर एकदम से छूट गई। रोज़ाना डायरी लिखना चाहकर भी ऐसा कर नहीं पाया, कारण कई रहे... सबसे बड़ी दुविधा ये रही कि किन बातों/घटनाओं का उल्लेख डायरी में किया जाए या नहीं, और अगर किया जाए तो पूरी तरह से ईमानदार कैसे रहा जाए। कुछेक बेबाक संस्मरण पढ़कर मैं अक्सर प्रभावित हो जाया करता था... आज भी होता हूं... एक वजह ये भी है इस ब्लॉग के वजूद में आने के पीछे... और हां, उम्मीद उसी हरसत को पूरा करने की है... जो एक आदत में तब्दील होते-होते रह गई। और सबसे जरुर बात ये है कि ये सिर्फ मेरी डायरी नहीं है...इसे अपनी डायरी या फिर हमारी डायरी समझें... मेरी डायरी के पन्ने शीर्षक में 'मेरी ' शब्द एक अपनेपन, एक सहजता के लिए है... सहयोग, संदेश और सुझाव... डायरी के पन्नों पर जल्द से जल्द दर्ज हों... यही इल्तजा है आप सभी से और खुद अपने आप से भी... जल्द मिलते हैं... मेरी डायरी के पन्नों पर...
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