आधा-अधूरा यह लेख साल 2017 का लिखा है, बहुत सी उम्मीदों के साथ... उस तस्वीर के सहारे जिसमें धोनी श्रीलंका के साथ एक मैच के दौरान दर्शकों के हंगामे के बीच आराम करते नज़र आए... इस लेख को उस तस्वीर के साथ ही सहेज कर रख दिया था, ऐसी और भी बहुत सी तस्वीरें हैं जिन्हें धोनी ने यादगार लम्हों में बदला है... महेन्द्र सिंह धोनी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की खबर के साथ वे सभी तस्वीरें ज़हन में ताज़ा हो चली हैं...
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एक कस्बाई सपने का अंगड़ाई
लेकर पूरा होना, छोटे-छोटे शहरों के बड़े-बड़े अरमानों का मुकम्मल होना, हाथ से
फिसलते वक्त को उसी शिद्दत से थामे रहना जिस जुनून के साथ पहली बार बल्ला थामा
था... आप किस्से कहते जाएंगे लेकिन महेन्द्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट के किंवदंती
पुरुष के रुप में ही पहचाने जाएंगे जिन्होंने आंकड़ों को झुठलाते हुए असंभव को
संभव कर दिखाया है, बिल्कुल किस्से-कहानियों की तरह।
साल 2017... भारत और
श्रीलंका के बीच हुए तीसरे वन-डे मैच में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 50
ओवर में 9 विकेट खोकर 217 रन बनाए। भारत की शुरुआत ज़्यादा अच्छी नहीं रही।
शुरुआती झटकों के बाद टीम इंडिया को रोहित शर्मा और धोनी ने शानदार बल्लेबाज़ी से
संभाला। भारतीय टीम जैसे ही लक्ष्य के करीब पहुंची, श्रीलंकाई फैन हार को निश्चित
देखकर अपना आपा खो बैठे। दर्शकों के हंगामे से मैच को रोकना पड़ा और एम एस धोनी
उसी हंगामे के बीच बेफिक्री से आराम फरमाते हुए नज़र आए। मैच कुछ देर बाद फिर से
शुरु हुआ और भारत ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर सीरीज़ अपने नाम कर ली। मैच में
शतक बेशक रोहित शर्मा ने लगाया लेकिन जाने-अनजाने ही धोनी क्रिकेट प्रेमियों का
दिल जीतकर ले गए।
धोनी मैदान पर जितने
बेफिक्र नज़र आते हैं अपनी ज़िम्मेदारी भी वो उतनी ही बखूबी निभाते हैं। एक
जबरदस्त हिटर और उससे भी बेहतरीन मैच फिनिशर। व्यवहार में बेलौस लेकिन किरदार एकदम
करिश्माई। धोनी कब, कैसे और कहां से मैच का पासा पलट दें, ये समझ पाना क्रिकेट के
नामचीन जानकारों की समझ से परे है। याद कीजिए साल 2011, क्रिकेट विश्व कप का फाइनल
मुकाबला, भारत और श्रीलंका आमने-सामने। क्रिकेट जिस देश का धर्म सरीखा बन जाए, उस
देश की क्रिकेट टीम के कप्तान पर उम्मीदों का कितना बोझ होगा... इसका अंदाज़ा
लगाना जितना मुश्किल है, उतना ही उन उम्मीदों पर खरा उतरना। ये कहना अतिश्योक्ति
नहीं होगा कि इस सपने को धोनी से बेहतर कोई पूरा भी नहीं कर सकता था। नाबाद 91 रन
और वो विजयी छक्का आज भी भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के ज़हन में ताज़ा है।
जिस देश में हर चाय की
दुकान पर एक कमेंटेटर बैठा है और हर पान की दुकान पर एक अदद सेलेक्टर, उस भारतीय
जनमानस के दिलों को यूं इस कदर अपना मुरीद बना लेना हर किसी के बस की बात नहीं।
साल 2007... टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच, खिताबी भिड़ंत में मुकाबला भारत और
पाकिस्तान के बीच। क्रिकेट प्रेमियों के लिए इससे बेहतर सौगात हो ही नहीं सकती,
साथ ही भारत और पाकिस्तान के लिए इससे बड़ी जीत और कोई नहीं। मैच के आखिरी रोमांचक
लम्हों में कांटे की टक्कर देखने को मिली। एक वक्त जब लगा कि पाकिस्तान मैच का रुख
पलट सकता है, तभी कैप्टन कूल धोनी ने अपने आखिरी दांव से पूरी बाज़ी ही पलट कर रख
दी। माही का फैसला रंग लाया और जोगिंदर शर्मा ने अपने कप्तान के भरोसे को सही
साबित किया। नतीजा... भारत टी-20 विश्व कप चैंपियन।
धोनी की बात हो और हेलीकॉप्टर
शॉट का ज़िक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। इस शॉट की बदौलत धोनी न सिर्फ गेंद पर
मनमाना प्रहार करते हैं बल्कि विरोधियों के हौंसले भी पस्त करने का काम बखूबी करते
हैं। गेंदबाज़ का उतरा हुआ चेहरा, मायूस क्षेत्ररक्षकों के झुके हुए कंधे और गेंद पलक
झपकते ही सीमा रेखा के पार। विकेट के आगे ही नहीं धोनी का दबदबा विकेटों के पीछे
भी उतना ही कायम है। शुरुआत में धोनी की तकनीक पर बहुत सवाल उठाए गए, लेकिन अपने शानदार
प्रदर्शन से धोनी ने सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया।
पिछले कुछ अरसे से बेशक
धोनी के प्रदर्शन में उतनी निरंतरता नहीं दिखी, लेकिन हालिया भारत-श्रीलंका सीरीज़
में धोनी ने दिखा दिया कि वो अभी भी चूके नहीं हैं। बढ़ती उम्र और फिटनेस का
तकाज़ा... माही के सामने चुनौतियां बहुत हैं। ऐसे में 2019 वर्ल्ड कप की युवा टीम
में जगह बचाए रखने की डगर आसान नहीं है। लेकिन माही ने तमाम क्रिकेट इसी तरह ही तो
खेली है।
क्रिकेट अनिश्चितताओं का
खेल है जहां एकमात्र निश्चितता आपका प्रदर्शन तय करता है। धोनी ने लगातार अपनी
क्रिकेट से ये साबित किया है कि वो क्रिकेट की दुनिया के धूमकेतु नहीं, जो कुछ
वक्त चमकने के बाद धूमिल पड़ जाएं, बल्कि धोनी भारतीय क्रिकेट के ध्रुव तारे की
तरह हैं जो सहजता से सब कुछ देख रहा है। उसी बालसुलभ मुस्कान और लहराती जुल्फों के
साथ... जब हम सभी ने उन्हें पहली बार देखा था।
पिक्चर अभी बाकी है मेरे
दोस्त . . .