शनिवार, 31 अगस्त 2013

Onion & D प्याज़ Politics : D Definition D Evolution & Revolution



प्याज़ !!!

इस शब्द से डरिए मत... ये अब हमारी,  आपकी और सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है साथ ही इसकी महत्ता और महत्वाकांक्षा लगातार बढ़ती जा रही है  *** काश शेयर मार्केट प्याज़ से कुछ टिप्स ले पाता ***  जितना शेयर बाज़ार मेरी पहुंच में है प्याज़ भी करीब-करीब मेरे करीब होकर भी उतना ही दूर होता जा रहा है। दोनों पर मेरा कोई बस नहीं लेकिन फिर भी मेरी कोशिश है कि मैं प्याज़हित में जनसाधारण के ज्ञान में थोड़ा योगदान दूं और अपने विकसित हो रहे ज्ञान का प्रमाण दूं। इसी कड़ी में सबसे पहले मैं आपको प्याज़ की परिभाषा से अवगत कराता हूं।

गूगल पर सर्च करने के दौरान  इन तस्वीरों और विकिपीडिया पर मैने प्याज़ की परिभाषा को जैसा पाया वो ज्यों की त्यों आपके सम्मुख प्रस्तुत है।


प्याज़ (Onion) एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है । भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपालपाकिस्तानश्रीलंकाबांग्लादेश, इत्यादि। प्याज़ की फ़सल कर्नाटकगुजरातराजस्थानउत्तर प्रदेशबिहारपश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है।
( मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से )


परिभाषा तो आपने जान ली लेकिन अब बात उपयोगिता की आती है।

जैसा कि अक्सर होता आया है जनहित में सरकार तो बाद में करेगी मैं ' हेमन्त वशिष्ठ ' अपनी जबरदस्त औऱ जबरदस्ती की दूरदर्शिता का प्रमाण देते हुए भारत देश के अलग-अलग राज्यों के सभी स्कूलों में हिंदी विषय के पाठ्यक्रम में सुधार के मद्देनज़र प्याज को एक विषय या सब्जेक्ट के तौर पर नहीं तो कम से कम ऑब्जेक्ट ...एक लेख,निबंध के तौर पर शामिल किए जाने की अनिवार्यता का अनुमोदन करता हूं।

सुविधानुसार ये बदलाव बाकी विषयों में भी किया जा सकता है। जैसे बायोलॉजी में प्याज़ की चीरफाड़ ... थोड़ी महंगी पड़ेगी लेकिन अत्यंत ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी। इंसान के दिलोदिमाग पर प्याज का कितना प्रभुत्व है इसका सही प्रमाण हमें इन्हीं शोधकार्यों से प्राप्त होगा। प्याज़ की विभिन्न परतों के बीच हमें प्याज़ के अलग अलग दामों पर इंसानों के अलग अलग रिस्पॉन्स की झलक या फिर इम्प्रिन्ट साफ नज़र आएगा।

जो काम अंग्रेजी के सब्जेक्ट में कीट्स...इलियट...शेक्सपीयर...वर्ड्सवर्थ... मिल्टन नहीं कर पाए वो प्याज़ जरुर करने में सफल साबित होगी। छात्रों को सिर्फ एक प्याज दे दीजिए फिर देखिए उनकी कल्पना शक्ति कहां तक उड़ान भरती है। किस्से... कहानियां ... कविताएं ... शब्दार्थ ... भावार्थ ... सब कुछ आपको प्याज़मय प्रतीत होगा ।

फीजिक्स के सारे सिद्धांत फिर से लिखे जाएंगे। सेब का नीचे गिरना अगर गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव है तो फिर ये प्याज पर लागू क्यों नहीं होता है । आखिर क्यों प्याज़ की कीमतें इसे आम आदमी की पहुंच से लगातार ऊपर ...  और ऊपर ले जा रही है।

सेब गिरा था तो प्याज़ का गिरना भी बनता है ना लेकिन यहां तो प्याज़ के नाम पर सरकारें बनने और गिरने की बातें होती हैं । लोगों को प्याज़ के सपने दिखाए जा रहे हैं ... भले ही वो सरकार हो ... विपक्ष या फिर हमारे बीच के ही ... कुछ लोग। सरकारी प्याज़ के स्टॉल लग रहे हैं। हर कोई सस्ती प्याज़ बेचने का दावा कर रहा है।

नफे-नुकसान को दांव पर रखकर जनता की सेवा की जा रही है आखिर कैसे कोई महंगे दामों पर प्याज़ खरीद कर इतनी भारी मात्रा में जनता को उपलब्ध करा सकता है ... इसके पीछे के गणित को स्टडी करने के उपरांत हम इसके जरिए इकोनॉमिक्स विषय को भी भलीभांति समझने का सफल-असफल प्रयास कर सकते हैं ।

प्याज़ की खेती...फसल...पैदावार से लेकर उसके मंडियों तक आने का सफर । किसान को नाममात्र के भुगतान के साथ ही प्याज़ की जमाखोरी और उससे मुनाफाखोरी का ये पूरा तंत्र आपको एक सिस्टम के तहत चलने का आदी बनाता है । अगर आप चाहते हैं कि आगे निकट भविष्य में कोई आपकी एडमिनिस्ट्रेटिव समझ पर सवाल ना उठाए तो आप इस पूरे तंत्र का गहन अध्ययन अपने उपयोग या दुरुपयोग में सुविधानुसार ला सकते हैं।

इसके जरिए आप मौसम के भी एक्सपर्ट बन सकते हैं। कई बार मौसम के चलते प्याज़ की फसल पर उसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। प्याज की फसल कभी खराब हो जाती हो तो कभी खराब मौसम के चलते मंडियों तक पहुंच नहीं पाती और नतीजा प्याज़ आपको बादलों के साथ साथ दिन में तारे दिखाने लगती है।

देश की अर्थव्यवस्था से भी प्याज़ सीधे तौर पर जुड़ी हुई है । शुरुआत आपके हमारे घरों के बजट से ही हो जाती है । आप ये ना समझिए कि प्याज़ सिर्फ आपकी आंख में आंसू ही ला सकती है प्याज़ अपने पर आ जाए तो बड़ी बड़ी सरकारें घुटनों के बल चलने पर मजबूर दो जाती हैं। इस तरह से प्याज देश की राजनीति को समझने और राजनीति शास्त्र के अध्ययन का भी एक अनूठा लेकिन सशक्त माध्यम है।

उदाहरण के तौर पर ... यदि रसोई से निकल कर महिलाएं अगर सत्ता और सरकार चला सकती हैं ( चाहे वो किसी भी स्तर पर हो ) तो फिर उसी रसोई से निकला प्याज़ सरकार बना क्यों नहीं सकता भाई । बताओ ज़रा ... ये भेदभाव आखिर क्यों ... 

साम्राज्यवाद... समाजवाद ... इन  सब के बाद ये दौर अब प्याज़वाद का है। प्याज़ एक स्टेट्स सिंबल के साथ साथ राष्ट्र की पहचान भी बन सकता है। प्याज़ पर डाक टिकटें जारी होंगी, सड़कों...मोहल्लों...गलियों के नाम वहां खाई... पाई और उगाई जाने वाली प्याज़ के नाम पर तय होंगे। प्याज़वाद के इस दौर में तमाम तरह के सामाजिक और उसके समानांतर आपके लाइफ स्टाइल में बदलाव की भी आप उम्मीद कर सकते हैं।

बहुत संभव है कि  ' onion rings ' आपकी प्लेट से गायब हो जाएं और आपकी उंगलियों की शोभा बढ़ाएं, और आप  ' platinum rings ' को भूल जाएं । बैंक अपने लॉकर्स में ज्यादा से ज्यादा प्याज़ रखने वालों को प्रोत्साहित करने के नाम पर कम दरों में कर्ज मुहैया कराए और ज्यादा इंट्रेस्ट रेट भी दे।

प्याज़ आपको अपराध करने पर भी मजबूर कर सकती है । ऐसी ही एक खबर सुनने को मिली , टनों प्याज़ से भरा एक ट्रक लूट लिया गया। लूटी गई प्याज़ की कीमत लाखों में थी ऐसे में ब्लैक में बेचने पर यकीनन लुटेरों ने अपनी सात पुश्तें सुधार ली होंगी।

ये तो टनों प्याज़ थी जो लूटी गई और रिपोर्ट की गई जिससे बात हमारे संज्ञान में आई। लेकिन प्याज़ के नाम पर हमें कब तक लूटा जाता रहेगा ये आपको और हमें शायद पता भी नहीं चलता है।

लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि Dollar अगर Rupee के पीछे पड़ा है तो प्याज़ रुपए का बदला डॉलर से ले रहा है। 

Democracy है भाई जब Oil economics या फिर Oil politics काम कर सकता है तो बदलती हुई world economy में प्याज़ पॉलिटिक्स भी जरुर अपनी जगह बनाने में सफल होगा। Sensex... wall street ... nasdaq ... nifti ... euro markets ... swiss accounts ... best exotic holiday destinations हर जगह प्याज़ का बोलबाला। जो भी देश प्याज़ के export-import पर control रखेगा वहीं अगला सुपरपावर ... ooopppsss ... प्याज़पावर देश होगा ।

जस्ट इमेजिन !!!

सब्जी को स्वाद बनाने वाली प्याज कब सरकारें बनाने लगी ...
शायद उसे खुद भी पता नहीं चला।
प्याज़ के आंसू कब कसैले ...और कसैले होते चले गए ...
पता ही नहीं चला।
प्याज़ कब घर का बजट बिगाड़ने लगी ...
पता ही नहीं चला।
प्याज़ के लिए कब हम दूसरे मुल्कों के सामने हाथ फैलाने लगे ...
पता ही नहीं चला।
प्याज़ के लिए नेता कब आम जनता को ही छलने लगे ...
पता ही नहीं चला ।

प्याज़ ... प्याज़ ही तो थी ... माफ कीजिएगा ... कब वो कोढ़ में खाज बन गई ... 
पता ही नहीं चला

ये लो ... 
मैं भी तो सिर्फ प्याज़ पर निबंध लिखने चला था। 
( *** सिलेबस बदलना है ना सर *** )
कब इमोशनल हो गया ...
पता ही नहीं चला . . . 



2 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्रिया जनाब ... अगर आप प्याज बहुल इलाके से हैं तो प्याज भिजवाएं ... जब लिखा था तब और आज का रेट ... अंतर ज्यादा नहीं है ... :)

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