शनिवार, 13 अगस्त 2016

लोकतंत्र में भेड़ों का महत्व


बात सही है
यहां अब भेड़ियों का वर्चस्व है...
लोकतंत्र में फिर भी
भेड़ों का बहुत महत्व है...
लीक में सधो
सवाल मत करो
झुंड में रहो
                                                  झुंड में ही सहो                                                  
अकेली भेड़ खतरनाक है...
अकेले चलने वाले में
क्रांतिकारी होने का सत्व होता है...
भेड़ों को झुंड में रखा जाता है...
क्योंकि लोकतंत्र में झुंड का बहुत महत्व होता है...
वाद का
विवाद का
धर्म में अतिवाद का
या कोरे कट्टरवाद का
भेड़ों को किसी-न-किसी वाद से
हमेशा मजबूर रखना होता है
क्योंकि लोकतंत्र में हर वाद का बहुत महत्व होता है...
घुटी हुई उन चीखों में
पग-पग मिलते धोखों में
सिसक-सिसक कर रोने दो
उन मुर्दा बंद झरोखों में
आवाज़ छीन लो भेड़ों से
बोलने वाली भेड़
भेड़ियों के लिए खतरा होता है
क्योंकि लोकतंत्र में आवाज़ का बहुत महत्व होता है
वर्ण से और वर्ग से
या भाषाई संदर्भ से
खींच दो लकीरें
बंटवारे की
घर-घर
नफरत के गर्भ से
भेड़ों को साथ रखकर भी
अलग-अलग रखना होता है
क्योंकि लोकतंत्र में एक होने का बड़ा महत्व होता है...
कविता अभी ये अधूरी है
फिर भी पूरी सच्चाई का बोध होता है
ऐसा जरूरी भी है
और लाज़मी भी...
क्योंकि लोकतंत्र में बोध होने का बड़ा महत्व होता है
एक दिन ये अंधेर छंट जाएगा
है अगर वर्चस्व
तो घट जाएगा
नपुंसक भेड़ियों की क्या बिसात
भेड़ों के पास मर्यादा है
एक दिन उनका भी पुरुषत्व जग जाएगा
क्योंकि लोकतंत्र में मर्यादा का बड़ा महत्व होता है
बेशक
यहां अब भेड़ियों का वर्चस्व है...
लोकतंत्र में फिर भी
भेड़ों का बहुत महत्व है ।

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हेमन्त वशिष्ठ
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